एसा क्य हुआ ,अपने ही बयान से क्यू पल्टे RSS प्रमुख मोहन भागवत ?

आजादी की लड़ाई मे किसने क्या भूमिका निभाई यह हर किताब, अखबार व अन्य साक्ष जो अपने अनुसार उस समय की परिस्थितियों का विवरण करते है , भिन्न-भिन्न हैं ।
व्यक्तिगत और संगठनात्मक तौर पर सब की अपनी भूमिका थी साकारात्मक या प्रतिकात्मक यह उल्लेखित करना अन्य विवादों को हवा देने जैसा है ।
आजादी के कुछ वर्ष पहले हिंदू संगठन तैयार होता है जो आगे चलकर कई भागों मे टूटते हुए RSS का रूप भी ले लेता है ।
जिसका संगठनात्मक 100 वर्ष 2025 मे पूरा होने पर अलग-अलग शाखाओं मे प्रोग्राम आयोजित किया जा रहा है ।
जिसके तहत दिल्ली के विज्ञान भवन मे 28/8/15 को RSS प्रमुख अपनी बात रख रहे थे, उसी क्रम मे उन्होने 75 वर्ष पर रिटायर्ड होने की बात को नकार दिया ।
जिसके बाद से सोशल मिडिया पर लोगों ने कई सारे सवाल उठाने सुरू कर दिए।
दरअसल कुछ ही महीने पहले , मुंबई के एक प्रोग्राम मे अपनी बात रखते समय RSS प्रमुख मोहन भागवत ने आहा था ,
जब आप उम्र दराज हो जाते हैं तो लोग आपको सीरियसली नही लेने लगते हैं ।
आपके खरे होने पर ही हंसने लगते हैं, तो आपको समझ लेना चाहिए की अब आप 75 वर्ष के हो गए हैं । अब दूसरे को आगे आने का मौका देते हुए रिटायर्ड हो जाना चाहिए।
कल यानी 28/8/25 को दिल्ली के विज्ञान भवन मे RSS के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य मे प्रोग्राम मे
RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कहा - मैने कभी नही कहा था की 75 वर्ष के होने पर रिटायर्ड हो जाना चाहिए।
संघ जब तक चाहेगा मैं संघ के लिए काम करता रहूंगा ।
Editor- Amit jha
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