मां कूष्मांडा मां दुर्गा के नौ रूप मे चौथे स्वरूप हैं ।
"मां कूष्मांडा" ने दिव्य हंसी से संसार की रचना की ।
नवदुर्गा रूपों में चौथा स्वरूप हैं। उनका नाम उनकी प्रमुख भूमिका का संकेत देता है: कू का अर्थ है "थोड़ा", ऊष्मा का अर्थ है "गर्मी" या "ऊर्जा" और अण्डा का अर्थ है "ब्रह्मांडीय अंडा"।
जब त्रिदेव ने सृष्टि की रचना करने की कल्पना की, तो उस समय ब्रह्मांड में अंधेरा छाया हुआ था।
इस दौरान ब्रह्मांड में सन्नाटा पसरा हुआ था।
ऐसे में त्रिदेव ने मां दुर्गा से सहायता ली।
मां दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कुष्मांडा ने ब्रह्मांड की रचना की। मां कूष्मांडा के मुख मंडल पर मुस्कान से पूरा ब्रह्मांड में उजाला हो गया। इसी वजह से मां दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कूष्मांडा कहा गया। शास्त्रों के अनुसार, सूर्य लोक में मां कूष्मांडा वास करती हैं। मां कूष्मांडा मुखमंडल पर सूर्य प्रकाशवान है।
Editor- Amit Jha
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