सुप्रीम कोर्ट के फैसले से क्या BJP को नुकसान होगा ?

भारत में वक्फ की शुरुआत दिल्ली सल्तनत के समय से हुई, जहां सुल्तान मुहम्मद गोरी ने मुल्तान की जामा मस्जिद के लिए एक गाँव समर्पित किया था, जो वक्फ का एक शुरुआती उदाहरण है।
1913 में ब्रिटिश सरकार ने वक्फ को औपचारिक रूप देकर 1923 में वक्फ एक्ट यानी कानूनी रूप भी दिया।
स्वतंत्र भारत में पहला वक्फ अधिनियम 1954 में पारित किया गया था, और इसी के तहत वक्फ बोर्डों का गठन किया गया।
जिसमे सभी राज्य और केन्द्र मे बोर्ड का गठन किया गया ।
इस बोर्ड का काम भारत-पाकिस्तान बटवारे मे भारत से पाकिस्तान गए लोगों के लावारिश जमीन को सुनिश्चित कर उसे उपयोग मे लाना था ।
वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 में प्रावधान किया गया था कि वक्फ बोर्ड के 11 सदस्यों में गैर-मुस्लिम सदस्य भी शामिल होंगे।
लेकिन सुप्रीम कोर्ट मे सुनवाई के बाद कोर्ट ने ईस पर अपना फैसला सुनाया -
इसपर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वक्फ बोर्ड में 3 से ज्यादा गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं हो सकते हैं।
वहीं, केंद्रीय वक्फ परिषद में भी 4 से ज्यादा गैर-मुस्लिम सदस्य शामिल नहीं होंगे।
यह फैसला ना सिर्फ मुस्लिम समुदाय बल्की विपक्ष के लिए भी जीत के तौर पर देखा जा रहा है ।
Editor- Amit Jha
0 Comments