ब्रह्मचारिणी ,माता दुर्गा का द्वितीय रूप हैं, जिन्हें ज्ञान, तपस्या और संयम की देवी माना जाता है।
पौराणिक कथा के अनुसार, इन्होंने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी।
वह सफेद वस्त्र धारण करती हैं, उनके दाहिने हाथ में रुद्राक्ष की माला और बाएं हाथ में कमंडल होता है।
ब्रह्मचारिणी शब्द का अर्थ -
तप का आचरण करने वाली. '
ब्रह्म' का अर्थ तप और 'चारिणी' का अर्थ आचरण करने वाली है ।
माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप मे पाने के लिए, नारद मुनि के उपदेश से घोर तपस्या की थी ।
कथा के अनुसार,
कई हजार वर्ष तक निर्जल , निराहार रह कर सिर्फ पत्तो को खाकर तपस्या करती थी जिस कारण उनका शरीर क्षीण हो गया था ।
इसी कठिन तपस्या से माता का नाम ब्रह्मचारिणी परा ।
Editor- Amit Jha
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